हमीरपुर में कल एक तथाकथित गैर-राजनीतिक संस्था के बैनर तले राजनीति का नंगा नाच देखने को मिला। मंच पर वही चेहरे थे जिन्होंने पहले कांग्रेस छोड़कर करोड़ों की डील कर राजनीतिक सौदेबाजी की और अब तथाकथित “सेवा” के नाम पर बदमाशों जैसी भाषा में मंच से धमकियां दीं।
इन तथाकथित नेताओं ने कार्यक्रम के दौरान अधिकारियों, पंचायत प्रतिनिधियों और मीडिया को भी अभद्र भाषा व जनसेवकों को खुलेआम धमकाते हुए कहा कि “जब हमारी सत्ता आएगी, तब हम देख लेंगे।” यह मानसिकता न केवल लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है, बल्कि हिमाचल प्रदेश जैसे शांतिप्रिय राज्य की संस्कृति के विपरीत भी है।
दुर्भाग्य की बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी भी इन लोगों की भ्रामक राजनीति में फंस गए और मंच से इनकी बातें स्वीकार करते हुए दिखाई दिए। जो लोग सत्ता में रहते हुए लंम्बलू का कॉलेज चुराकर टोनीदेवी ले गए, वही अब दूसरों उपदेश दे रहे हैंऔर दूसरी ओर, दूसरा “नहला” मुंह में बर्फ डाले यह सब तमाशा देखता रहा।
मंच पर जिस तरह से एक 84 वर्षीय पंचायत प्रधान — जो इस वीरभूमि का गौरव हैं — का अपमान और तिरस्कार किया गया, और उन्हें “देख लेने” जैसी धमकियां दी गईं, वह न केवल निंदनीय है बल्कि हिमाचल की परंपरा और सम्मान के खिलाफ है।
यह वही वीरभूमि है जिसने देश को वीरचक्र, परमवीर चक्र और शौर्य चक्र जैसे सम्मान दिलाए हैं। ऐसे प्रदेश के वीरों का मंच पर अपमान करने वालों को शर्म आनी चाहिए।
यह भी आश्चर्यजनक है कि वही नेता, जो महिलाओं के सम्मान की बातें करते नहीं थकते, वही मंच पर बुजुर्गों और पुरुषों का अपमान कर रहे हैं ।
अगर सच में “सम्मान” देना था तो दरी और गलीचे की बजाय प्रत्येक माता बहन को एक-एक सोने का सिक्का देना चाहिए था क्योंकि इनके जनादेश को अपने करोड़ों रुपए में बेचा है ।
मंच से बार-बार 15–15 सौ की बात करने वाले यह लोग कभी 1 लाख रोजगार की बात क्यों नहीं करते?
2 करोड़ रोजगार हर साल देने के वादे का क्या हुआ?
काला धन जो अब “संत्री” बन गया है, उसकी चर्चा क्यों नहीं करते?
जीएसटी के हजारों करोड़ रुपये जो हिमाचल को केंद्र से मिलने हैं, उस पर मौन क्यों हैं?
पुरानी पेंशन बहाली पर 1600 करोड़ का बोझ हिमाचल पर डालने की बात क्यों नहीं करते?
आज जो भाषा इन “नहलों” ने अपनाई है, वही भाषा उत्तर प्रदेश और बिहार के गुंडाराज में सुनी जाती है — “हम सत्ता में आएंगे तो देख लेंगे…” यह मानसिकता लोकतंत्र की हत्या है।
हमीरपुर के 84 वर्षीय पंचायत प्रधान चौहान जी ने मंच से हुई इस बेइज्जती को अपनी फेसबुक वॉल पर जवाब दिया है — यह बताता है कि वीरभूमि का खून अभी ठंडा नहीं हुआ है।
जयराम ठाकुर जी को याद रखना चाहिए कि “ठाकुर” सिर्फ मंडी में नहीं बसते — लम्बलू का 84 वर्षीय यह चौहान भी आपकी चुनौती स्वीकार कर चुका है।
हमें अपने वीर सपूतों पर गर्व है, लेकिन जिन लोगों ने मंच से उनका अपमान किया है — उन्हें हिमाचल की जनता कभी माफ नहीं करेगी।
हमारा स्पष्ट संदेश है राजनीति करनी है तो राजनीतिक मंच से करें। सेवा संस्थाओं और एनजीओ को राजनीति की दलदल में मत घसीटें। हमीरपुर की धरती वीरों की है, यहां धमकियों और डीलबाजी की राजनीति नहीं चलेगी।