लगभग 500 वर्ष पुराना है बरोटा गांव का शिव मंदिर

- शिव मंदिर को संतों की समाधि के नाम से भी जाना जाता - पीपल की जड़ों के निचे है शिव मंदिर , लोगों की मंदिर में है अपार आस्था - मान्यता है कि साधू संतों ने इस स्थान पर की है तपस्या - संतों की समाधियां भी है इसका प्रमाण

लगभग 500 वर्ष पुराना है बरोटा गांव का शिव मंदिर

हिमाचल प्रदेश का एक मात्र ऐसा शिव मंदिर है जो पीपल के वृक्ष की जड़ो के निचे करता है निवास। जैसे-जैसे पीपल का वृक्ष बढ़ता गया लोगों की आस्था और मंदिर के चमत्कार भी बढ़ते गए है । माना जाता है कि पीपल  का वृक्ष हजार से 15 सौ वर्ष पुराना है। इसका जीता जागता उदाहरण मंदिर को देख कर लगाया जा सकता है कि छोटे से मंदिर की दीवारों पर भी पीपल के वृक्ष की जड़े चारो और फैली हुई है। मंदिर को देख कर ऐसा लगता है कि पीपल की जड़ों ने शिवलिंग को चारों ओर से घेरा हुआ है। लोगों की यह भी मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त मनोकामना करता है तो उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। ये मंदिर हमीरपुर जिला और बिलासपुर जिला की सीमा पर स्थित बरोटा गांव में बना शिव मंदिर लोगों की अपार आस्था का केंद्र बना हुआ है। माना जाता है कि ये शिवलिंग पांच सौ वर्ष पुराना है। यह शिवलिंग पीपल की जड़ों से निकला हुआ है जिसका परिणाम मंदिर को देख कर लगाया जा सकता है । वर्तमान समय में भी शिवलिंग के ऊपर विशालकाय पीपल का वृक्ष मौजूद है। हर वर्ष इस शिव मंदिर में कमेटी द्धारा भागवत कथा का आयोजन भी किया जाता है। मान्यता यह भी है कि साधू संतों ने इस स्थान पर तपस्या करते थे जहां अब पीपल का विशालकाय वृक्ष मौजूद है।

लोगों की मंदिर में अपार आस्था
बरोटा पंचायत के बरोटा गांव में बना शिव मंदिर लोगों की अपार आस्था केंद्र बना हुआ है। माना जाता है कि ये शिवलिंग पांच सौ वर्ष पुराना है। यह शिवलिंग पीपल की जड़ों से निकला हुआ है जिसका परिणाम मंदिर को देख कर लगाया जा सकता है । पीपल का वृक्ष हजार से 1500 वर्ष पुराना है । पीपल के वृक्ष की जड़ों के निचे शिव मंदिर के पास ही साधू संतों की समाधि है जहां साधू संत तपस्या करते है।

बरोटा गांव के इतिहास का विवरण है एक पुस्तक में ।
बताया जा रहा है अंधकार से प्रकाश की और पुस्तिका में इस बरोटा गांव के इतिहास का विवरण दिया गया है। जिसके लेखक रूप शर्मा लोअर बाजार बलद्धाडा मंडी जिला के रहने वाले है। 600 के करीब आडिशन करवाया था  लेकिन अब यह कही भी नहीं  मिल रही  है जबकि एक या दो पुस्तके ही अभी शेष रही है।

नागर शैली से बनेगा नया मंदिर
बरोटा गांव के प्राचीन मंदिर के साथ के आधुनिक मंदिर का होगा निर्माण । नागर शैली से बनाया जाएगा आधुनिक वास्तुकला  का मंदिर । दक्षिण भारत के कारिगार नागर शैली से बनाएगें आधुनिक मंदिर । 35 से 40 लाख रूपयेे की राशि से बनेगा आधुनिक शिव मंदिर । मंदिर कमेटी व गांव वासियों के सहयोग से वन रहा शिव मंदिर ।

क्या कहते है लोग।
इस स्थान पर साधू संतों ने पांच सौ वर्ष पहले गोर तपस्या की थी जिस कारण यह शिवलिंग पीपल के वृक्ष के नीचे उत्पन हुआ था। इसी स्थान पर साधू संतों की समाधियां भी स्थापित की गई है । शिव मंदिर के साथ लोगों की आस्था भी जुडी हुई है। प्रतिदिन लोग यहां आकर पूजा अर्चना करते है और जो भी मनोकामना मांगी जाती है उसे भगवान भोले नाथ पूरा करते है।
कर्म चंद शास्त्री गांव वासी ।

संत महात्मों की पुण्य भूमि है यहां संतों से तप किया है । 500 वर्ष पुराना शिव मंदिर है  इस मंदिर को समाधि के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर का जीर्णोद्वार करने के लिए ग्राम विकास समिति का भी गठन किया है । यह विकास समिति मंदिर के जीर्णोद्वार का कार्य कर रही है जल्द ही एक सुंदर भव्य शिव मंदिर बनाया जाएगा।
अमी चंद शास्त्री मंदिर कमेटी के प्रधान बरोटा।