भाजपा ने सुक्खू सरकार के कर्मचारी-विरोधी फैसलों की निंदा की

भाजपा ने सुक्खू सरकार के कर्मचारी-विरोधी फैसलों की निंदा की
भाजपा जिला अध्यक्ष राकेश ठाकुर और कोषाध्यक्ष धर्मेंद्र शर्मा ने जारी एक संयुक्त बयान में आज मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली हिमाचल प्रदेश सरकार के कर्मचारी-विरोधी फैसलों की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा हाल ही में सातवें वेतन आयोग की शर्तों को वापस लेने से 89 श्रेणियों के हज़ारों कर्मचारियों को ₹10,000 से ₹20,000 का मासिक वित्तीय नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि निवर्तमान भाजपा सरकार के कार्यकाल में इन शर्तों को लागू किया गया था, जिससे 2022 में कर्मचारियों वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी। राकेश ठाकुर और धर्मेंद्र शर्मा ने लंबित 11% महंगाई भत्ते (डीए) के भुगतान में हो रही देरी की भी निंदा की और सरकार पर कर्मचारियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया। इसके अलावा, उन्होंने प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा निदेशालयों के विलय के विवादास्पद फैसले की निंदा करते हुए कहा कि इस फैसले का व्यापक विरोध होने, और कर्मचारियों के आंदोलन के बावजूद भी सुक्खू सरकार द्वारा इसे ज़बरदस्ती कर्मचारियों पर थोपा गया। उन्होंने कहा कि इस सबसे बड़ी विडम्बना तो यह है कि जहाँ आम कर्मचारी सरकार के बेतुके फैसलों से परेशान हैं, वहीं मुख्यमंत्री ने अपने मित्रों को सरकारी बोर्डों-निगमों का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाया, और प्रदेश में प्राकृतिक आपदा होने के बावजूद अपने सभी मित्रों का मासिक मानदेय ₹30,000 से बढ़ाकर ₹80,000 कर दिया है, जो राज्य के कर्मचारियों के प्रति उनकी पूर्ण उपेक्षा और असंवेदनशीलता को दर्शाता है। राकेश ठाकुर और धर्मेंद्र शर्मा ने मांग की कि सरकार इन कर्मचारी-विरोधी फैसलों को तुरंत वापस ले, बकाया महंगाई भत्ता जारी करे और वेतन आयोग की सिफारिशों को बहाल करे, अन्यथा सरकार को अपने कर्मचारी-विरोधी फैसलों के लिए कठोर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।