3 दिन में अपने व्यय रजिस्टर दुरुस्त करें लोकसभा प्रत्याशी: डॉ. कुंदन यादव
व्यय पर्यवेक्षक ने लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों से तलब किया खर्चे का फाइनल ब्यौरा विधानसभा उपचुनाव की व्यय पर्यवेक्षक मीनू सिंह बिष्ट ने भी ली बड़सर की रिपोर्ट
संसदीय क्षेत्र 3-हमीरपुर के आम चुनाव-2024 के उम्मीदवारों के चुनावी खर्चे की गणना को अंतिम रूप देने के लिए सोमवार को भारत निर्वाचन आयोग के व्यय पर्यवेक्षक वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी डॉ. कुंदन यादव ने यहां हमीर भवन में लोकसभा चुनाव के सभी प्रत्याशियों अथवा उनके एजेंटों के साथ बैठक की। इस बैठक में विधानसभा क्षेत्र बड़सर, कुटलैहड़ और गगरेट के उपचुनाव की व्यय पर्यवेक्षक मीनू सिंह बिष्ट, एडीएम राहुल चौहान, निर्वाचन विभाग के तहसीलदार उपेंद्रनाथ शुक्ला, सहायक व्यय पर्यवेक्षक और अकाउंटिंग टीमों के अधिकारी भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर डॉ. कुंदन यादव ने उम्मीदवारों के व्यय रजिस्टरों का निरीक्षण किया तथा इन रजिस्टरों का मिलान सहायक व्यय पर्यवेक्षकों एवं अकाउंटिंग टीमों द्वारा तैयार किए गए शैडो रजिस्टरों के साथ किया। उन्होंने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग के नियमानुसार चुनाव की समाप्ति के बाद एक महीने के भीतर प्रत्याशियों को अपने सभी खर्चों का अंतिम ब्यौरा देना अनिवार्य है। लोकसभा आम चुनाव-2024 के लिए निर्धारित यह 30 दिन की अवधि 4 जुलाई को समाप्त हो रही है।
डॉ. कुंदन यादव ने उम्मीदवारों एवं उनके प्रतिनिधियों से कहा कि वे व्यय रजिस्टरों और शैडो रजिस्टरों में व्यय के अंतर को 3 दिन के भीतर दुरुस्त कर लें, ताकि उम्मीदवारों के खर्च के विवरण को 4 जुलाई तक फाइनल किया जा सके। उन्होंने कहा कि अगर इस दौरान उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों को खर्चे के आकलन में कोई शंका हो तो वे व्यय पर्यवेक्षक, सहायक व्यय पर्यवेक्षक या अकाउंटिंग टीम से संपर्क कर सकते हैं।
व्यय पर्यवेक्षक ने बताया कि चुनाव परिणाम की घोषणा के 30 दिन बाद भी अगर कोई प्रत्याशी जिला निर्वाचन अधिकारी के पास अपने चुनाव खर्च का सही लेखा-जोखा दाखिल नहीं करवाता है तो भारत निर्वाचन आयोग उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकता है। उस प्रत्याशी को भविष्य में चुनाव लड़ने के लिए 3 साल तक प्रतिबंधित किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि संसदीय क्षेत्र के लिए निर्वाचन खर्च की अधिकतम सीमा 95 लाख रुपये और विधानसभा के लिए अधिकतम 40 लाख रुपये निर्धारित की गई है। इस निर्धारित सीमा से अधिक खर्च किए जाने पर प्रत्याशी के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है और उसका निर्वाचन भी रद्द किया जा सकता है।