जिला भाजपा हमीरपुर ने कांग्रेस नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर आम जनता और प्रदेश के कर्मचारियों को लगातार भ्रमित करने का आरोप लगाते हुए कड़ी आलोचना की है। आज जारी एक संयुक्त बयान में भाजपा जिलाध्यक्ष राकेश ठाकुर, जिला महामंत्री अजय रिंटू तथा जिला मीडिया प्रभारी विक्रमजीत सिंह बन्याल ने कहा कि सुख्खू सरकार अपने चुनावी वायदों पर पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने कहा कि अब सरकार ग्राम पंचायतों की अनावश्यक पुनर्गठन तथा डिलीमीटेशन का बहाना बनाकर पंचायत चुनावों से भागने की कोशिश कर रही है।
राकेश ठाकुर ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग पहले ही मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट की उस महत्त्वपूर्ण धारा को लागू कर चुका है, जो पंचायतों व नगर निकायों की सीमाओं में किसी भी तरह के बदलाव पर रोक लगाती है। 17 नवंबर को आयोग ने धारा 12.1 लागू करते हुए स्पष्ट कर दिया था कि 3,577 ग्राम पंचायतों, 90 पंचायत समितियों, 11 जिला परिषदों और 71 नगरीय निकायों की डिलीमीटेशन पहले ही पूरी की जा चुकी है। इसके बावजूद कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय सरकार के चुनाव हारने के भय को दर्शाते हैं और चुनाव टालने की मंशा को उजागर करते हैं।
वहीं, अजय रिंटू और विक्रमजीत बन्याल ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि सुख्खू सरकार ने 805 स्कूल प्रिंसिपलों की लंबे समय से लंबित पदोन्नतियों को भी अनावश्यक रूप से लटकाकर रखा है। प्रमोशनों को आगे बढ़ाने के नाम पर नई डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी (DPC) का गठन करना सिर्फ देरी का नया बहाना है। विगत दो वर्षों से प्रशासनिक कमजोरी और कानूनी जटिलताओं के कारण ये प्रमोशन रुके हुए हैं, जिससे शिक्षकों में भारी रोष और असमंजस बना हुआ है। इस अवधि में वरिष्ठ शिक्षकों को अतिरिक्त प्रिंसिपल का कार्यभार सौंपकर ही काम चलाया गया। वर्तमान में राज्य के 805 स्कूलों में प्रधानाचार्य का पद रिक्त हैं और वरिष्ठ शिक्षकों को इस पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। इस माह लगभग 18 प्रधानाचार्य सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं, जिससे रिक्त पदों की संख्या और बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि पदोन्नति में देरी का सबसे बड़ा नुकसान शिक्षकों को हो रहा है। कई शिक्षक पदोन्नति के योग्य हैं, लेकिन पदोन्नति न होने के कारण वे सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
राकेश ठाकुर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार की राजनीतिक अनिच्छा के कारण यह प्रक्रिया वर्षों से खिंचती जा रही है। नई DPC पर निर्भरता से अब पूरा मामला सरकार की “मेहरबानी” पर टिका रहेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार नई समिति बनाने की बजाय वरिष्ठता सूची और रिक्तियों का निर्धारण तुरंत पूरा करे तथा शिक्षा, वित्त और कार्मिक विभागों के बीच समन्वय बढ़ाकर कानूनी अड़चनों को दूर करे। लेकिन सरकार की मनमानी, ढिलाई और अनुत्तरदायी रवैया ही प्रदेश के कर्मचारियों तथा आम जनता के विकास कार्यों में रुकावट पैदा कर रहा है। और यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा, जब तक यह सरकार सत्ता से बाहर नहीं हो जाती।