'पश्चिमोतर भारत की अनुसूचित जन जातियों का समाज, पर्यावास और अर्थव्यवस्था' पर दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद
ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी, हमीरपुर में 'पश्चिमोत्तर भारत की अनुसूचित जन-जातियों का समाज, पर्यावास और अर्थव्यवस्था' विषय पर 22 व 23 अप्रैल को दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत व हिमाचल के विभिन्न विश्वविद्यालयों व संस्थाओं के विद्वान अपने शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। परिसंवाद के उद्देश्य के बारे में शोध संस्थान नेरी के निदेशक डॉ. चेतराम गर्ग ने प्रेसवार्ता में बताया कि उत्तर पश्चिम भारत जिसे हम सप्त सिंधु क्षेत्र के नाम से जानते हैं, में रहने वाले जनजातीय समाज के विविध पक्षों को जानने व समझने के लिये यह आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सप्त सिंधु क्षेत्र जो कभी एशिया और मध्य पूर्व से होकर रोम तक का प्रमुख व्यापार मार्ग था, ऐतिहासिक व पारम्परिक रूप से भारत का प्रवेश द्वारा रहा है। अपनी सांस्कृतिक एवं भौगोलिक समृद्धि के बाबजूद यहां के जनजातीय समाज को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा हालांकि इस क्षेत्र के लोगों की संस्कृति, लोकाचार और गहराई से जुड़ी हुई विश्वास प्रणाली ने उन्हें इन आक्रमणों से बचने में सक्षम बनाया। बाल्टी, बकरवाल, भील, चंगपा, डामोर, धनका, डोगरा गद्दी, गरासिया, गुर्जर, किन्नौरा, लाहौला, पंगवाल इत्यादि सप्त सिंधु क्षेत्र की प्रमुख जन जातियां हैं। इनकी अपनी एक विशेष संस्कृति व इतिहास है। संस्थान के निदेशक के अनुसार राष्ट्रीय परिसंवाद के उद्घाटन सत्र में हिमाचल से राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी मुख्य अतिथि होगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो सत प्रकाश बंसल, कुलपति हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला करेंगे। समापन सत्र में मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद व पूर्व कुलपति प्रो सिकंदर कुमार होंगे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्ष प्रो शशि वाला, सदस्य, जी-20 सलाहकार समिति रहेंगी। शोध संस्थान महासचिव भूमि दत्त शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय परिसंवाद भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के वित्तीय सहयोग से ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी व इतिहास विभाग और भूगोल विभाग हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। इस मौके पर संस्थान निदेशक प्यार चंद परमार व नरेन्द्र नंदा उपस्थित रहे।
इस राष्ट्रीय परिसंवाद के लिए 70 से अधिक विद्वानों ने लघु शोध पत्र एवं 20 पूर्ण शोध पत्र हमारे पास पहुंच गए हैं। प्रमुख विद्वानों में असम गोवहाटी से प्रो. शुभजीत चौधरी, उतराखण्ड से डॉ. राकेश मोहन नोटियाल, डॉ. जसपाल खत्री, ग्वालियर से प्रो. शान्ति देव सिसोदिया, राजस्थान से प्रो. कैलाश चन्द गुर्जर, जम्मू से सुमेर खजुरिया, देहरा से प्रो. नारायण सिंह राव, प्रो. कंवर चन्द्रदीप, शिमला से प्रो. चन्द्र मोहन, प्रो. अरुण सिंह, पूना से प्रो. सोहनू राम, दिल्ली से प्रो. सुनीता नेगी रहने वाले हैं।