एश्वर्य चंद कटोच वंश के नए किंग, ऐतिहासिक कांगड़ा किले में 400 साल बाद राजतिलक
ऐतिहासिक कांगड़ा किले में 400 साल बाद राजतिलक, बीजापुर के उदय देव कटोच ने की रस्म अदायगी
भले ही भारत में आजादी के बाद राजतंत्र समाप्त हो गया है, लेकिन राजाओं की शान-ओ-शौकत आज भी कायम है। इसी की एकबानगी गुरुवार को कांगड़ा के ऐतिहासिक किले में दिखी, जब कटोच वंश के 489वें राजा एश्वर्य चंद कटोच का राजतिलक हुआ। कांगड़ा दुर्ग में कटोच वंश की कुलदेवी मां अंबिका के मंदिर में बीजापुर के ठाकुर उदय देव कटोच ने नए महाराजा का राजतिलक किया। दुनिया में सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले राजवंशों में शामिल कांगड़ा के कटोच वंश के कार्यक्रम में देश-विदेश से लोग पहुंचे। सुबह 9 बजे 12 बजे तक राजतिलक हवन व नवमी की पूजा हुई। 12 बजे से एक बजे तक राजतिलक कार्यक्रम हुआ। उसके बाद त्रिगर्त दरबार में नजराना पेश किया गया। राजमाता चंद्रेश कुमारी ने नए महाराजा ऐश्वर्य देव चंद कटोच के राजतिलक के उपलक्ष्य में दो अप्रैल को राजमहल लंबागांव में स्थानीय जनता के लिए कांगड़ी धाम का आयोजन भी किया है। राजतिलक होते ही शैलजा कुमारी कटोच को महारानी और उनके बेटे अंबिकेश्वर चंद्र कटोच को टिक्का राज की उपाधि मिल गई। कार्यक्रम में महाराजा ऐश्वर्य चंद कटोच ने एक पुस्तक का विमोचन भी किया। कांगड़ा दुर्ग में अंतिम राज्यभिषेक 1629 ईस्वी में हुआ था।