प्रभात फेरियों और साइकिल रैलियों से दिया पोषण ज्ञान से विश्व कल्याण का संदेश; घर-घर दस्तक देकर मोटे अनाज के प्रयोग का किया आह्वान

प्रभात फेरियों और साइकिल रैलियों से दिया पोषण ज्ञान से विश्व कल्याण का संदेश; घर-घर दस्तक देकर मोटे अनाज के प्रयोग का किया आह्वान

प्रभात फेरी 'सर्वे भवंतु सुखिनः' की हमारी उच्च आध्यात्मिक एवं समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है। प्रातः काल में शुद्ध अंतर्मन से विश्व कल्याण की मंगल कामना मन में लिए मिलजुल कर पूरे गांव की फेरी लगाना, स्वयं को मानवता की समग्रता में देखना तथा नींद एवं आलस्य से शिथिल पड़े लोगों को लोकहित में जागृत करना ही प्रभात फेरी का उद्देश्य है।इसी भांति साइकिल प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्ण सहसंबंध (हारमोनियस कोएक्जिस्टेंस) रखते हुए मनुष्य के भौतिक एवं मानसिक विकास की प्रतीक है। हमारी समृद्ध संस्कृति एवं प्रकृति के साथ मनुष्य के सौहार्दपूर्ण सहसंबंध के ये प्रतीक आज भी व्यक्तिगत, सामाजिक, सामुदायिक एवं राष्ट्रीय जीवन में व्याप्त अनेक आलस्यों को तोड़कर उनमें नवचेतना जागृत करने में समर्थ हैं। उक्त विचार सीडीपीओ सुजानपुर कुलदीप सिंह चौहान ने सुजानपुर विकासखंड के विभिन्न आंगनवाड़ी केंद्रों में राष्ट्रीय पोषण पखवाड़े के अंतर्गत जनजागरण के लिए आयोजित प्रभात फेरियों,पोषण एवं साइकिल रैलियों मैं भाग ले रहे प्रतिभागियों से संवाद करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इन आयोजनों के माध्यम से जनमानस में मानवीय, आत्मीय एवं विकासात्मक भावों को जागृत कर सामुदायिक पोषण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने और वृहत् व्यवहार परिवर्तन (कंप्रिहेंसिव बिहेवियरल चेंज) का प्रयास किया जा रहा है। हमारी समृद्ध संस्कृति एवं विकास यात्रा के ये प्रतीक आज भी हमें प्रेरित करते हैं और मानव हित में एकजुट करते हैं ‌। उन्होंने कहा कि व्यवहारिक ज्ञान, उचित पोषण, सहज स्वास्थ्य और मानव कल्याण एक दूसरे के पूरक हैं। यही कारण है कि प्रभात फेरी की मानव कल्याण की भावना को पोषण ज्ञान एवं स्वास्थ्य से जोड़कर प्रस्तुत किया गया। इसी प्रकार पर्यावरण मित्र साइकिल रैलियों के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयत्न किया जा रहा है की वही विकास स्थाई है जो प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्ण सहसंबंध पर आधारित होता है। मोटे अनाज साइकिल की ही भांति प्रकृति से मित्रवर रहते हुए उसके संसाधनों का न्यूनतम संभव प्रयोग कर उसे पुनः अमूल्य खाद्यान्न संपदा लौटाकर समृद्ध एवं संवर्धित (एनरिच) करते हैं। अतः मोटे अनाजों के प्रयोग एवं उत्पादन का संदेश देने के लिए साइकिल रैलियों का चुनाव किया गया है। उन्होंने बताया कि आज राष्ट्रीय पोषण पखवाड़े का 11रवां दिन है। यह भी एक सांकेतिक महत्व का दिन है क्योंकि ऐसा माना जाता है एक और एक मिलकर 11 होते हैं । अतः इस दिन प्रत्येक घर में गृह भ्रमण के माध्यम से दस्तक दी जा रही है ताकि हम मिलकर मानव के विकास एवं पोषण में मोटे अनाजों की उपयोगिता तथा प्रकृति के संरक्षण में उसकी महत्ता को वैश्विक रूप प्रदान कर सकें। उन्होंने कहा कि यदि हम परंपरागत भारतीय पोषण ज्ञान को विश्व कल्याण के दृष्टिगत जन जन तक पहुंचाने में सफल होते हैं तभी 'सर्वे भवंतु सुखिनः'  कि  भारतीय जनमानस की मनोकामना की पूर्ति हो सकती है।