कृमिनाशक दवाई से न छूटे कोई भी बच्चा: अमरजीत सिंह
डीसी ने की बाल स्वास्थ्य से संबंधित तीन महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की समीक्षा राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम में नोडल शिक्षकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण
उपायुक्त अमरजीत सिंह ने शुक्रवार को बच्चों से संबंधित स्वास्थ्य विभाग के तीन महत्वपूर्ण अभियानों एवं कार्यक्रमों की जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक की अध्यक्षता करके इनकी प्रगति की समीक्षा की तथा अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए। बैठक के दौरान डायरिया रोको अभियान, राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम पर व्यापक चर्चा की गई।
उपायुक्त ने कहा कि इन तीनों अभियानों के क्रियान्वयन में स्वास्थ्य विभाग के अलावा महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा, आयुष, जल शक्ति, पंचायतीराज और अन्य विभागों की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण है।
अमरजीत सिंह ने कहा कि एक जुलाई से 31 अगस्त तक चलाए जा रहे डायरिया नियंत्रण अभियान जिला के 28,955 बच्चों को कवर किया गया तथा ओआरएस के 45,423 पैकेट वितरित किए गए। इस दौरान आशा वर्कर्स ने बच्चों के माता-पिता को ओआरएस का घोल तैयार करने की विधि भी समझाई। डायरिया के लक्षण पाए जाने पर 38 बच्चों को अस्पताल भेजा गया। उपायुक्त ने जल शक्ति विभाग को पानी की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखने, जल स्रोतों एवं टैंकों की नियमित रूप से सफाई और क्लोरिनेशन तथा सैंपलिंग-टैस्टिंग सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी शिक्षण संस्थानों, कालोनियों, आम घरों और कार्यालयों की टंकियों की भी नियमित रूप से सफाई होनी चाहिए तथा लॉगबुक में इसका रिकॉर्ड मैंटेन किया जाना चाहिए।
उपायुक्त ने कहा कि 9 अगस्त को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के तहत 5 वर्ष तक के 29,831 शिशुओं को कृमिनाशक दवाई पिलाई जाएगी और 6 से 19 वर्ष तक के कुल 1,05,500 बच्चों एवं किशोर-किशोरियों को कृमिनाशक गोली खिलाई जाएगी। उन्होंने आईसीडीएस और शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कहा कि इस दवाई से कोई भी बच्चा नहीं छूटना चाहिए। इस दिन सभी बच्चे सुबह का खाना खाकर ही स्कूल आएं, ताकि उन्हें मौके पर ही दवाई खिलाई जा सके। उपायुक्त ने कहा कि किन्हीं कारणों से छूटे बच्चों को 16 अगस्त को यह दवा दी जाएगी।
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए उपायुक्त ने कहा कि किशोरावस्था में बच्चों की ओवरऑल हेल्थ के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है। इसमें किशोर-किशोरियों के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ व्यक्तिगत स्वच्छता, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य, पोषण, मानसिक स्वास्थ्य, नशीली दवाओं के दुरुपयोग और किशोरावस्था से संबंधित अन्य समस्याओं को भी शामिल किया गया है। उपायुक्त ने कहा कि इसमें प्रत्येक शिक्षण संस्थान के नोडल शिक्षकों की सबसे बड़ी भूमिका रहेगी। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे नोडल शिक्षकों को पूर्ण रूप से प्रशिक्षित करें।
बैठक में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय जगोता और प्रभारी डॉ. अजय अत्री ने विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया। इस अवसर पर सभी खंड स्वास्थ्य अधिकारी, शिक्षा, आयुष, पंचायतीराज, जल शक्ति और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी भी उपस्थित थे।