त्रिगर्त क्षेत्र व कटोच राजवंश का इतिहास’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी सम्पन्न

ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान, नेरी (हमीरपुर, हि.प्र.) एवं संस्कृत विभाग, हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय, धौलाधार परिसर-1, धर्मशाला में ‘त्रिगर्त क्षेत्र व कटोच राजवंश का इतिहास’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार एवं लेखक डॉ. गौतम शर्मा व्यथित ने की। प्रसिद्ध इतिहासकार, पूर्व आचार्य एवं परियोजना निदेशक प्रो. नारायण सिंह राव ने संगोष्ठी में उपस्थित विद्वानों को संबोधित करते हुए कहा कि त्रिगर्त रियासत की स्थापना महाभारत काल से भी पूर्व मानी जाती है, अतः कटोच राजवंश भारतीय इतिहास के सबसे प्राचीन राजवंशों में से एक है। उन्होंने कहा कि यह इतिहास भारतीय इतिहास-लेखन की पुनर्संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। शोध संस्थान नेरी के निदेशक डॉ. चेतराम गर्ग ने त्रिगर्त राज्य और कटोच राजवंश के ऐतिहासिक स्रोतों के रूप में पुराणों, उपनिषदों और संस्कृत साहित्य का हवाला देते हुए, इतिहास को भारतीय दृष्टिकोण से देखने और लिखने की आवश्यकता पर बल दिया। संगोष्ठी के अध्यक्ष डॉ. गौतम शर्मा व्यथित ने अपने उद्बोधन में कहा कि इतिहास सदैव प्रमाणिक तथ्यों के आधार पर लिखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास लेखन से पहले यह चिंतन आवश्यक है कि यह लेखन क्यों, कैसे और किस उद्देश्य से किया जा रहा है, क्योंकि प्रामाणिक इतिहास ही समाज को सही दिशा देने में सहायक सिद्ध होता है। संगोष्ठी में प्रो. योगेन्द्र धामा, डॉ. जगदीश प्रसाद, डॉ. जय प्रकाश, डॉ. विवेक शर्मा, डॉ. चन्दन आनंद, सन्नी कुमार, करतार चन्द, राजेन्द्र शर्मा, तिलक राज, शशि शर्मा, डॉ. ऋषि कुमार, डॉ. नीलम, डॉ. मिहिर बोराना सहित कुल 20 विद्वान उपस्थित रहे।