कर्मचारी चयन आयोग का पूरा ढांचा बदलेगी सरकार, मुख्यमंत्री के शिमला लौटने के बाद होगा आखिरी फैसला
मुख्यमंत्री के शिमला लौटने के बाद होगा आखिरी फैसला, एग्जाम की संख्या कम करने को कॉमन भर्ती नियम बनेंगे
हिमाचल सरकार पेपर लीक का बड़ा मामला सामने आने के बाद हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग का पूरा ढांचा बदलने जा रही है। सीएम के शिमला लौटने के बाद आयोग पर आखिरी फैसला होगा। इससे पहले विजिलेंस ब्यूरो अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट दे चुका है। इस रिपोर्ट पर मंगलवार को मुख्य सचिव भी प्रशासनिक अधिकारियों से बैठक कर चुके हैं। ज्यादातर उम्मीद यह है कि आयोग बहाल हो जाएगा, लेकिन पूरा ढांचा बदल जाएगा। हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग में क्लास थ्री की भर्ती प्रक्रिया को कुछ इस तरह बनाया जा रहा है कि एग्जाम कम हों और बहुत से पोस्ट कोड का एक ही एग्जाम हो। यही सुझाव प्रशासनिक जांच अधिकारी लगाए गए शिक्षा सचिव अभिषेक जैन ने भी दिया है, लेकिन एग्जाम की संख्या घटाने के लिए विभागों और बोर्ड-निगमों के कॉमन भर्ती नियम होना जरूरी हैं। मुख्य सचिव ने जांच अधिकारी को अब इस पक्ष को भी स्टडी करने के लिए कहा है। इसके बाद प्रशासनिक जांच रिपोर्ट पूरी हो जाएगी। हालांकि राज्य सरकार कॉमन भर्ती नियमों पर पहले से काम कर रही थी और इस बारे में अतिरिक्त मुख्य सचिव (कार्मिक) रहते हुए प्रबोध सक्सेना ने ही रिटायर अधिकारी विजय चंदन की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी भी अपेक्षित काम नहीं कर पाई थी।
अब कॉमन भर्ती नियमों के लिए यह दूसरी कोशिश है। इसके अलावा हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग में मेंबर्स की संख्या को कम किया जा सकता है और आयोग में एक विजिलेंस ऑफिसर की नियुक्ति भी की जा सकती है। हालांकि इन दोनों संभावनाओं पर अभी सिर्फ विचार चल रहा है। आयोग में मानवीय हस्तक्षेप कम करने के लिए भर्ती संबंधी सारी प्रक्रिया को आईटी के इस्तेमाल से ऑनलाइन किया जाएगा। यहां तक कि पेपर सेटिंग का काम भी कम्प्यूटर ही करेगा। हाथ से पेपर सेट करने और प्रिंटिंग से पहले उसकी फोटो स्टेट करवाने के चक्कर में ही जूनियर ऑफिस असिस्टेंट का पेपर लीक हुआ था। इस पूरे सिस्टम को बदला जाएगा। इससे पहले विजिलेंस ब्यूरो ने जो प्रारंभिक रिपोर्ट आयोग में हुए पेपर लीक के बारे में दी है, उसमें जूनियर ऑफिस असिस्टेंट के अलावा अन्य भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीकेज को लेकर पुष्ट प्रमाण नहीं हैं। विजिलेंस ब्यूरो को मिली शिकायतों और पेपर लीकेज के नेटवर्क के आधार पर इस रिपोर्ट में आशंकाएं जताई हैं। विजिलेंस ब्यूरो के अनुसार इस पूरे केस की जांच के लिए करीब दो साल अभी और चाहिए, इसलिए राज्य सरकार को प्रशासनिक जांच के आधार पर ही आयोग को बहाल करना होगा। यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि हजारों शिक्षित बेरोजगार आयोग सस्पेंड होने के कारण बीच में फंस गए हैं। 26 दिसंबर 2022 को आयोग सस्पेंड हुआ था और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि 60 दिन के भीतर आयोग पर फैसला हो जाएगा।