जल शक्ति विभाग में बतौर जल रक्षक सेवाएं दे रहे कर्मियों ने मांगों को लेकर आवाज बुलंद कर दी है

जल रक्षकों ने नियमितीकरण की मांग की है और रेगुलर करने के लिए बारह साल की बजाए आठ साल बाद रेगुलर किया जाए, सोमवार को जल रक्षकों ने डीसी कार्यालय पहुंचकर डीसी के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेजा है,  साथ ही उन्होंने यह भी अल्टीमेटम दिया कि यदि सरकार दस दिनों तक मांगों पर सकारात्मक फैसला नहीं सुनाती है तो प्रदेश भर के जल रक्षकों को सामूहिक रूप से काम बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

जल शक्ति विभाग में बतौर जल रक्षक सेवाएं दे रहे कर्मियों ने मांगों को लेकर आवाज बुलंद कर दी है
जल शक्ति विभाग में बतौर जल रक्षक सेवाएं दे रहे कर्मियों ने मांगों को लेकर आवाज बुलंद कर दी है



हमीरपुर(QNN)

शिल्पा शर्मा
जल रक्षकों ने नियमितीकरण की मांग की है और रेगुलर करने के लिए बारह साल की बजाए आठ साल बाद रेगुलर किया जाए,
सोमवार को जल रक्षकों ने डीसी कार्यालय पहुंचकर डीसी के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेजा है, 
साथ ही उन्होंने यह भी अल्टीमेटम दिया कि यदि सरकार दस दिनों तक मांगों पर सकारात्मक फैसला नहीं सुनाती है तो प्रदेश भर के जल रक्षकों को सामूहिक रूप से काम बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।


जल शक्ति विभाग में बतौर जल रक्षक सेवाएं दे रहे कर्मचारियों ने विभाग के तहत नियमित कर्मचारी के रूप में अपने आप को स्थापित करवाने की मांग को लेकर आंदोलन करने की चेतावनी दी है। सोमवार को डीसी देवश्वेता बनिक को ज्ञापन सौंप कर जल्द मांगों को मानने के लिए गुहार लगाइ्र है । उन्होंने कहा कि बारह सालों के बाद रेगुलर करने की बजाए आठ साल रेगुलर करना का प्रावधान किया जाए।

जल रक्षक संघ हमीरपुर के उपप्रधान राजेश कुमार  ने कहा कि जिला भर में करीब साढ़े चार सौ जल रक्षक है जो जल शक्ति विभाग के माध्यम से लोगों को पेयजल आपूर्ति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश जल रक्षकों से 8 घंटे काम लिया जा रहा है, जबकि नियमों के मुताबिक वह केवल 4 घंटे विभाग में सेवाएं प्रदान कर सकते हैं।

वहीं विपिन कुमार ने बताया कि जल शक्ति विभाग में में जल रक्षकों से घंटों तक काम लिया जा रहा है। वही उन्हें इस काम के बदले महज 4500 रूपये मासिक वेतन दिया जा रहा है।  उन्होंने कहा कि सरकार बिना देर किए सभी जल रक्षकों को जल शक्ति विभाग के तहत नियमित करने की व्यवस्था करे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार दस दिनों के भीतर मांगों पर अमल नहीं करती है तो मजबूरन उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पडेगा।