पश्चिमोत्तर भारत की अनुसूचित जन जातियों का समाज, पर्यावास और अर्थव्यवस्था पर दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद,

पश्चिमोत्तर भारत की अनुसूचित जन जातियों का समाज, पर्यावास और अर्थव्यवस्था पर दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद,

हमीरपुर।
ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी में पश्चिमोत्तर भारत की अनुसूचित जन-जातियों का समाज, पर्यावास और अर्थव्यवस्था विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन शुरू हुआ इसमें दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत व हिमाचल के विभिन्न विश्वविद्यालयों व संस्थाओं के विद्वान अपने शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। परिसंवाद में पहले दिन बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी ने कहा कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने इस्तीफा नहीं दिया है वह केवल अफवाहें हैं उनके ध्यान में इस्तीफा देने की कोई बात नहीं है वह अभी भी भाजपा के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व यह तय करता है कि राज्य भाजपा अध्यक्ष कौन होगा जो इसके लिए काबिल होगा वही अध्यक्ष पद पर काबिज होगा।  इंदु गोस्वामी ने कहा कि आजादी के बाद देश में दशकों तक जिन्होंने राजकीय उन्होंने इन अनुसूचित जनजातियों की तरफ ध्यान नहीं दिया केवल वोट बैंक की राजनीति तक सीमित रखा भारत का बहुत बड़ा भाग वन क्षेत्र जिसे कहा जाता है घाटी के रूप में जाना जाता है उसकी देखरेख सुरक्षा यह लोग करते हैं भारत के आर्थिक सशक्तिकरण से जुड़ा भूमि भाग का सरंक्षण अनुसूचित जाति करती है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन अनुसूचित जातियों के लिए नए युग की शुरुआत की है। कार्यक्रम में सत्यप्रकाश बंसल प्रकाश चंद शर्मा सुरेंद्र नाथ शर्मा ने भी अपने अपने विचार रखें। कई राज्यों से यहां शोधकर्ता पहुंचे हुए हैं उन्होंने
 उत्तर पश्चिम भारत जिसे हम सप्त सिंधु क्षेत्र के नाम से जानते हैं, में रहने वाले जनजातीय समाज के विविध पक्षों को जानने व समझने के लिए अपने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।