भारतीय किसान संघ हिमाचल प्रदेश की प्रबंध समिति की दो दिवसीय बैठक

भारतीय किसान संघ हिमाचल प्रदेश की प्रबंध समिति की दो दिवसीय बैठक ठाकुर जगदेव चन्द इतिहास शोध संस्थान नेरी हमीरपुर में आयोजित हुई। बैठक में प्रदेश कार्यकारिणी एवं जिला अध्यक्ष एवं मंत्री व कोषाध्यक्ष ने भाग लिया।

भारतीय किसान संघ हिमाचल प्रदेश की प्रबंध समिति की दो दिवसीय बैठक
भारतीय किसान संघ हिमाचल प्रदेश की प्रबंध समिति की दो दिवसीय बैठक

हमीरपुर(QNN)

शिल्पा शर्मा 
भारतीय किसान संघ हिमाचल प्रदेश की प्रबंध समिति की दो दिवसीय बैठक ठाकुर जगदेव चन्द इतिहास शोध संस्थान नेरी हमीरपुर में आयोजित हुई। बैठक में प्रदेश कार्यकारिणी एवं जिला अध्यक्ष एवं मंत्री व कोषाध्यक्ष ने भाग लिया। बैठक में 26 अगस्त 2022 को सभी जिला • मुख्यालयों में किसानों बागवानों की समस्याओं को लेकर धरना प्रदर्शन किया जाएगा और जिला उपायुक्त के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भी दिए जाएंगे। बैठक में बेसहारा पशुओं की समस्या के स्थाई समाधान, जमीन की निशानदेही के लिए राजस्व विभाग के कानूनगो को निश्चित समयअवधी में हो। इसके साथ ही बैठक में सेब की खरीद जम्मू कश्मीर की तर्ज पर करें, सेब की पैकिंग के लिए ट्रे खरीद पर जीएटी हटाई जाए। गेहूं धान की खरीद के लिए मंडियो का विस्तारीकरण के साथ विभिन्न अजेसिंयों के कांउटर स्थापित किए जाए। सेब को समर्थन मुल्य से नीचे खरीद करने पर सजा का प्रावधान को दंडनीय मामना जाए। इसके साथ ही बैठक में संगठन के विस्तार के लिए प्रदेश सभी 89 खंडो की 3614 ग्राम पंचायतों में आगामी दो वर्षों के लिए योजना तैयार की गई। इसके साथ ही वृक्षारोपण और कार्यकर्ताओं के घरों में ध्वजारोहण और विभिन्न आयामों के प्रशिक्षण को लेकर विस्तृत योजना तैयार की गई। यह बैठक भारतीय किसान संघ हिमाचल प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ सोमदेव शर्मा की अध्यक्षता में समपन्न हुई जिसमें मुख्य रूप से •अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य भगतराम पटयाल, संगठन मंत्री हरिराम, प्रदेश मंत्री डॉ जयदेव शर्मा, प्रदेश कोषाध्यक्ष दिलबाग, रोशन लाल चौधरी उपाध्यक्ष, डॉ नीलम प्रांत सह महिला प्रमुख, प्रदेश प्रचार प्रमुख जयसिंह ठाकुर, युवा प्रमुख अजित सिंह सकलानी विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस दौरान ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी के निदेशक डॉ चेतराम गर्ग ने किसानों के समक्ष गांव के इतिहास के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संस्थान में प्रदेश के प्रत्येक जिले के गांव की पृष्ठभूमि, भौगोलिक परिवेश, सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन, लोक साहित्य से लेकर अर्थव्यवस्था पर भी शोध का कार्य किया जा रहा है ताकि किसानों को इस शोध का लाभ मिल सके और उनकी अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने के साथ ही गांव का विकास समग्र रूप से किया जा सके।