हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज यूनियन का जिला स्तरीय अधिवेशन

हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज यूनियन का जिला स्तरीय अधिवेशन

हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज यूनियन का जिला स्तरीय अधिवेशन आज बसन्त रिजॉर्ट, हमीरपुर में  यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कामेश्वर शर्मा की अध्यक्षता में हुआ। इस अवसर पर यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष ने बिजली बोर्ड में लागू की जा रही केंद्र की आर.डी.एस. योजना के तहत की जा रही स्मार्ट मीटरिंग पर गंभीर प्रश्न उठाते कहा कि इसमें रखे गये लक्ष्य व शर्ते प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों में व्यवहारिक नहीं है और केंद्र सरकार की शर्त के अनुसार लक्ष्यों के प्राप्त न होने पर इसमें दी जा रही ग्रांट लोन में बदल जाएगी।  यूनियन ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह राज्य की खराब वित्तिय हालात देखते हुए केंद्रीय ग्रांट का लालच देकर बिजली वितरण प्रणाली में सुधार के नाम पर स्मार्ट मीटरिंग के माध्यम से देश के बड़े निजी कॉरपोरेट को बिजली वितरण कंपनियों में प्रवेश कराना चाहती है। इस योजना के अंतर्गत स्मार्ट मीटर के रखरखाव का कार्य पब्लिक प्राइवेट पार्टिसिपेशन (PPP Mode) पर करना प्रस्तावित है वहीं इसके डाटा ग्रहण का कार्य इसके अतिरिक्त किसी तीसरी निजी संस्था देखेगी। इस तरह से बिजली कंपनी का बड़ा कार्य निजी हाथों चला जायेगा।

बिजली बोर्ड में पुराने मीटरों को 396 रुपये की लागत के इलेक्ट्रॉनिक मीटर से कुछ अरसा पहले ही बदला गया था ऐसे में प्रदेश के 26 लाख उपभोक्ताओं के इन मीटरों को अभी 10000 रुपये के मीटर से बदलना उचित नहीं है और वो भी ऐसे समय मे जब प्रदेश के उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली देने की बात हो रही है। जितनी 360 करोड़ रुपए की ग्रांट स्मार्ट मीटर में केंद्र सरकार दे रही है उससे ज्यादा तो पुराने मीटर जो उतारे जाएंगे उस पर बोर्ड की लागत आई है। वहीं इस पर कुल सम्भावित 2800 करोड़ रुपये में से लगभग 2450 करोड़ की राशि या तो बिजली बोर्ड को वहन करनी पड़ेगी या फिर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के ऊपर इसका बोझ पड़ेगा।

बिजली बोर्ड का पिछला अनुभव बताता है कि बोर्ड द्वारा इसी तरह की केंद्र की योजना में लक्ष्य न पूरा होने पर दो स्मार्ट सिटी शिमला व धर्मशाला में लगाए गए एक लाख पच्चास हज़ार स्मार्ट मीटरों में से लगभग 50 हजार मीटरों का खर्चा बिजली बोर्ड को बहन करना पड़ रहा है। वहीं बोर्ड द्वारा स्मार्ट मीटर बारे एक पायलट प्रोजेक्ट वर्ष 2017 में काला अम्ब सिरमौर में स्थापित किया गया है जो पूरी तरह से विफल रहा है। जब बोर्ड इस स्मार्ट मीटर की योजना के छोटे से पायलट प्रोजेक्ट को कामयाब नहीं कर पाए तो 26 लाख स्मार्ट मीटर का प्रोजेक्ट कैसे कामयब होगा यह एक सोचने का विषय है। वहीं बिजली बोर्ड में SCADA पर पहले ही 300 करोड़ रुपये की राशि खर्च कर दी गयी है लेकिन इसमें कोई भी सॉफ्टवेयर कार्य नहीं कर रहे है, लेकिन इसके बावजूद फिर से SACADA पर खर्चा किया जा रहा है।

यूनियन ने प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री महोदय को पहले ही इसके कुछ पहलुओं से अबगत करवाया है और बोर्ड को पहले ही इस प्रक्रिया को रद्द करने के निर्देश दिए थे। लेकिन प्रवंधन वर्ग सरकार के पास इस बारे आंकडों को तोड़मरोड़ कर पेश कर रही है और फिर से स्मार्ट मीटरिंग की टेंडरिंग शुरू कर दी है। 

यूनियन ने बिजली बोर्ड सर्विस कमेटी की बैठक के आयोजन में देरी का आरोप लगाया और इस बैठक को शीघ्र कर बिजली बोर्ड में पुरानी पेंशन लागू करने व टी.मेट व हेल्पर की पद्दोन्ति शीघ्र करने की मांग की है।इस अवसर पर यूनियन के महासचिव हीरा लाल वर्मा, बरिष्ठ उपप्रधान नन्द लाल, उप महासचिव मुनीश कुमार के अतिरिक्त राज्य पदाधिकारी पंकज परमार, हरीश शर्मा, नितीश भारद्वाज, राकेश चौधरी, जगमेल ठाकुर तथा स्थानीय इकाइयों के प्रधान व सचिव कृष्ण चंद, राजेश, बिजली बोर्ड पेंशन फॉर्म के राज्य उप प्रधान रमेश शर्मा, जिला प्रधान जे.पी. चौहान व सचिव विजय शर्मा के अतिरिक्त यूनियन के पूर्व प्रधान कुलदीप खरवाड़ा भी उपस्थित थे।