विभाग ने स्टॉक में कम बची हुई दवाइयों की भेजी डिमांड
डा. राधाकृष्णन मेडिकल कालेज एवं अस्पताल हमीरपुर की फार्मेसी में दवाईयों की कमी चली है । आलम यह है कि फार्मेसी में गेस्ट्रिक की दवाई भी पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। पेंटाप्रोजोल दवाईयों की खरीद के लिए मरीजों को बाहरी मेडिकल शॉप्स का रूख करना पड़ रहा है। सरकारी फार्मेसी में निश्शुल्क मिलने वाली यह दवाईयां बाहरी दुकानों पर महंगें दामों पर मिल रही है। इसके साथ ही मरीजों को प्लास्टर करने में इस्तेमाल होने वाला सॉफ्टरोल भी समाप्त हो गया है। ऐसे में मरीजों को सॉफ्टरोल भी बाहरी मेडिकल स्टोरों से ही खरीदना पड़ रही है। यदि बात खांसी की दवाई की करें तो यह भी फार्मेसी में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में कफ सिरप की खरीद भी लोगों को बाहरी मेडिकल स्टोर से ही करनी पड़ रही है। ऐसे में मरीजों को आथिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालांकि यह भी बताना चाहेंगे कि फार्मेसी में अधिकांश दवाईयां उपलब्ध रहती हैं। मरीजों की बढ़ी तादात की वजह से कई बार दवाईयों का स्टॉक समाप्त हो जाता है जिसकी डिमांड साथ-साथ ही दे दी जाती है। जाहिर है कि डा. राधाकृष्णन मेडिकल कालेज एवं अस्पताल हमीरपुर में रोजाना हजारों की ओपीडी होती है। मरीजों को अस्पताल की फार्मेसी में निश्शुल्क दवाईयां उपलब्ध करवाई जाती हैं। वहीं मेडिकल कालेज प्रबंधन ने दवाइयों की डिमांड भेज दी है। डीवीडीएमएस पोर्टल पर समाप्त हो चुकी या फिर स्टॉक में कम बची हुई दवाइयों की डिमांड भेजी गई है। वहीं मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. अनिल वर्मा ने बताया कि मेडिकल कालेज की फार्मेसी में सदैव ही दवाइयों का स्टॉक उपलब्ध रहता है । जिन दवाइयों का स्टाक कम था उनकी डिमांड भेज दी गई है जल्द ही फार्मेसी में मरीजों को निश्शुल्क दवाईयां मिलेंगी। मेडिकल कालेज एवं अस्पताल प्रबंधक मरीजों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रयासरत है।