पूर्व विधायक और भाजपा नेता नरेंद्र ठाकुर ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर को निलंबन के बाद भंग करना एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय है। सरकार के इस तुगलकी फरमान से लाखों युवाओं के रोजगार का अवसर भी फिलहाल बंद हो गया है। उन्होंने कहा कि बेहतर होता यदि सरकार चयन आयोग को भंग करने की बजाय इसकी कमियों को दूर कर इन्हें सुधारने का काम करती। हजारों लोगों ने कई सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षाएं दे रखीं थी और उनको अपने परीक्षा के परिणामों का इंतजार था, पर अब वह इंतजार समाप्त हो गया है और जब तक चयन आयोग वापस स्थापित नहीं होगा या एक अन्य कार्यप्रणाली का निर्माण नहीं होगा, तब तक इन युवाओं की उम्मीदों पर विराम लग गया है।
नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि काँग्रेस सरकार को राजनीतिक दूरदर्शिता का परिचय देना चाहिए था, परन्तु आनन-फानन में अजीबो-गरीब फैसले लेकर सरकार असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। सरकार के गठन के एक महीने के भीतर प्रदेश की प्रत्येक महिला को 1500 रुपये, ओ.पी.एस. लागू करने और प्रति वर्ष एक लाख लोगों को रोजगार देने के अपने चुनावी वायदों को पूरा करने की दिशा में सरकार कोई भी स्पष्टता देने में नाकाम रही है। उल्टे पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में लिये गए जनहित के फैसलों को पलटने में सरकार ज्यादा मसरूफ लग रही है। इससे पहले भी सरकार ने अनेकों संस्थानों को अकारण ही बंद कर दिया था। और अब मुख्यमंत्री द्वारा अपने ही गृह जिला के एक महत्वपूर्ण संस्थान को भंग करना अत्यंत आश्चर्यजनक और दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय है। नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि हमीरपुर की जनता अपने जिले से कॉंग्रेस सरकार का द्वेषपूर्ण और सौतेला व्यवहार कभी सहन नहीं करेगी। यदि सरकार ने जल्द ही कर्मचारी चयन आयोग की कार्यप्रणाली को जल्द बहाल नहीं किया तो जरूरत पड़ने पर भाजपा सरकार के विरुद्ध सड़कों पर प्रदर्शन भी करेगी।